मैंने यह बात स्पष्ट कर दी है -
क्या होता है स्वतंत्र होना।
इस जटिल और अति व्यक्तिगत अनुभव को
मैंने प्रयास किया है गहराई से समझने का।
आपको मालूम है -
क्या होता है स्वतंत्र होना?
स्वतंत्र होने का मतलब है
उत्तरदायी होना संसार की हर चीज के प्रति
हर आह, हर आँसू और हर तरह के नुकसान के प्रति
आस्था, अंधविश्वास और अनास्था के प्रति।
अन्य कोई हो न हो पर मैं उत्तरदायी हूँ
बँधा नहीं हूँ मैं किसी चीज से
इसीलिए प्रतिबद्ध हूँ -
हर चीज और व्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति।
स्वतंत्र होना
इतना आसान है क्या?
उस व्यक्ति की बात क्या करें
जिसे सहायता और सहारे की जरूरत है
ताकि वह उठाकर रख दे हर तरह के पहाड़ों को,
बाँध दे भविष्य की नदियों को,
मनुष्य तो मनुष्य है
उसकी बात क्या करें
स्वयं पहाड़ अक्सर कहते हैं -
आर्तनाद कर रही हैं उनकी निर्जन घाटियाँ
स्वयं नदियाँ चाहती हैं कि उनके ऊपर पुल हों
रोती है कि यानविहीन है उनका जल
आहिस्ता से कहते हैं रेगिस्तान-हमारे भीतर समुद्र हैं
जरूरत है बस भीतर तक खुदाई करने की,
यह इतना आसान है क्या
कि रेत और सिर्फ रेत में
नहाते रहना पड़े सहारा के रेगिस्तान को?
बहुत हो लिया अब मुक्त हो लें इस नरक से!
और ठीक इसी वक़्त
बहुत पास कहीं हलचल मचा रहा है अतलांतिक।
बता रहे हैं द्वीप -
किसी दूसरे महासागर के क्रोध के बारे में
जो समूल उखाड़ देना चाहता है उन्हें।
क्रुद्ध क्या केवल महासागर हैं?
दिखाई दे रहा है धुआँ, राख और धूल,
खून-पसीना थके शरीर पर।
मैं उपयोग कर रहा हूँ अपनी स्वतंत्रता का
कि हवा में उड़ न जाये द्वीप -
निगल न डाले पानी जमीन को
निर्जन न पड़ जायें लोगों की दुनियाएँ।
मैं लडूँगा
हर जीवित चीज के लिए
टकराऊँगा हर तरह की बाधा से
यही कामना है मेरी -
हरेक को प्राप्त हो सच्ची स्वतंत्रता।
साभार- http://www.hindisamay.com