Monday, October 15, 2012

जब तक है जान ......


तेरी आँखों की नमकीन मस्तियाँ
तेरी हंसी की बेपरवाह गुस्ताखियाँ
तेरी ज़ुल्फों की लहराती अंगराइयाँ
नहीं भूलूँगा मैं
जब तक है जान ......

तेरा हाथ से हाथ छोड़ना
तेरा सायों का रुख मोड़ना
तेरा पलट कर फिर ना देखना
नहीं माफ करूंगा मैं
जब तक है जान ......

बारिसों में बेधड़क तेरे नाचने से
बात-बात पर बेवजह तेरे रूठने से
छोटी-छोटी तेरी बचकानी बदमासियों से
मोहब्बत करूंगा मैं
जब तक है जान .......

तेरी झूठी कसमों-वादों से
तेरे जलते-सुलगते ख्वाबों से
तेरी बेरहम दुआओं से
नफ़रत करूंगा मैं
जब तक है जान ......

-गुलजार  

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