शिप ऑफ थीसियस एक ऐसी फिल्म है जिसने बॉलीवुड में विद्यमान
‘छवि-समृद्धि के स्टीरियोटाइप’ को तोड़ा है। इस लिहाज से भी यह कुछ अपवाद
फिल्मों की श्रेणी में आती है। फिल्म ‘छवि-समृद्धि’ के सबसे आसान तरीके
मसलन ‘स्मोक, पिस्टल और सेक्स’ से एक सचेत दूरी बनाती है। यह दूरी और कुछ
नहीं बल्कि छवि-अंकन में निष्णात आनंद की एक सचेत रचनात्मक जिम्मेवारी को
दिखाता है। जहां आप ‘प्रचलित जनाभिरुचियों’ को सहलाते नहीं हैं बल्कि आप
उसे संशोधित-संवर्द्धित और संश्लिष्ट करते हैं। जिसके बाद आपको यह कहने की
जरूरत नहीं पड़ती है कि धूम्रपान करने से कर्क रोग होता है या संभोग करने
से एड्स होता है।
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