Saturday, April 16, 2011

''जीना बिना भय के '' मैं मेरे आसपास एक कवच महसूस करता हूं जोकि मुझे लोगों के करीब आने से रोकता हैं। मुझे नहीं पता यह कहां से आ रहा है। इसे कैसे पिघला कर दूर करना है?







हर किसी के पास उस तरह का कवच है।

इसके लिए कारण हैं। सबसे पहले, बच्चा बिलकुल असहाय उस दुनिया में पैदा होता है जिसके बारे में वह कुछ नहीं जानता है। स्वभावत:जो अनजान है उसे सामना करने से उसे डर लगता है। वह अभी तक पूर्ण सुरक्षा के उन नौ महीनों को नहीं भूला है, खतरे से खाली, जब कोई समस्या नहीं थी, कोई जिम्मेदारी नहीं, कल के बारे में कोई चिंता नहीं।

हमारे लिए वे नौ महीने हैं लेकिन बच्चे के लिये अनंत काल हैं। वह कैलेंडर के बारे में कुछ नहीं जानता; वह मिनट, घंटे, दिन या महीने के बारे में कुछ भी नहीं जानता। वह पूर्ण सुरक्षा और संरक्षा में एक अनंत काल रहा है, बिना किसी जिम्मेदारी के, और फिर अचानक उसे एक अज्ञात दुनिया में डाल दिया, जहां वह दूसरों पर सभी चीजो के लिए निर्भर है। यह स्वाभाविक है कि उसे भय लगेगा। हर कोई बड़ा और अधिक शक्तिशाली है, और वह दूसरों की मदद के बिना नहीं रह सकता। वह जानता है कि वह निर्भर है, उसने अपनी स्वतंत्रता, अपनी आजादी खो दी है। छोटी-छोटी घटनायें उसे उस वास्तविकता का कुछ स्वाद दे सकती है जिसका वह भविष्य में सामना करने जा रहा है।

नेपोलियन बोनापार्ट नेल्सन से हार गया था, लेकिन वास्तव में गौरव नेल्सन को नहीं जाना चाहिए। नेपोलियन बोनापार्ट अपने बचपन की एक छोटी सी घटना से हार गया था। अब इतिहास चीजों को इस तरह नहीं देखता है, लेकिन मेरे लिए यह बिल्कुल साफ है।

जब वह सिर्फ छह महीने का था, एक जंगली बिल्ली उस पर कूद गयी। नौकरानी जो उसे देख रही थी घर में किसी चीज़ के लिए गयी, वह बगीचे में था, सुबह के सूर्य और ताजा हवा में लेटा था, और जंगली बिल्ली उस पर कूद गयी। उसने उसे नुकसान नहीं पहुंचाया था - शायद वह सिर्फ खिलवाड़ कर रही थी -- लेकिन बच्चे के दिमाग के लिए यह लगभग मौत थी। तब से, उसे बाघ या शेर का डर नहीं था, वह बिना किसी हथियार के एक शेर से लड़ सकता था, बिना किसी भय के । लेकिन बिल्ली? वह एक अलग मामला था। वह बिल्कुल असहाय था। बिल्ली देखकर वह लगभग जम जाता था, वह फिर एक छह महीने का छोटा बच्चा बन जाता था, बिना किसी सुरक्षा के, बिना किसी लड़ने की क्षमता के। उस छोटे बच्चे की आंखों में वह बिल्ली बहुत बड़ी लगती होगी, यह एक जंगली बिल्ली थी। हो सकता है बिल्ली ने बच्चे की आंखों में देखा ।

उसका मन इस घटना से इतना कुछ प्रभावित हुआ कि नेल्सन ने इसका उपयोग किया। नेल्सन की नेपोलियन से कोई तुलना नहीं थी, और नेपोलियन अपने जीवन में कभी हारा नहीं था, यह उसकी पहली और आखिरी हार थी। वह हार भी नहीं सकता था, लेकिन नेल्सन सेना के मोर्चे पर सत्तर बिल्लियों को ले आया था।

जिस क्षण नेपोलियन ने उन सत्तर जंगली बिल्लियों को देखा, उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। उसके सेनापतियों को समझ में नहीं आ सका क्या हो गया है। वह कोई महान योद्धा नहीं रह गया था, वह लगभग भय से जम गया था, कांप रहा था। उसने कभी किसी सेनापति को सेना की व्यवस्था करने की अनुमति नहीं दी थी, लेकिन आज उसने आंखों में आंसू लेकर कहा, "मैं सोचने के काबिल नहीं हूं -- तुम सेना की व्यवस्था करो, मैं यहां हूं, लेकिन मैं लड़ने के काबिल नहीं हूं। मेरे साथ कुछ गलत हो गया है"।

वह हटा दिया गया था, लेकिन नेपोलियन के बिना उसकी सेना नेल्सन से लड़ने में सक्षम नहीं थी, और नेपोलियन की स्थिति देखते हुए, उसकी सेना में सब लोग थोड़ा डर गए थे: कुछ बहुत ही अजीब हो रहा था।

बच्चा कमजोर है, संवेदनशील, असुरक्षित है। स्वायत्तता से वह एक कवच बनाना शुरू करता है, एक सुरक्षा, अलग-अलग तरीकों से। उदाहरण के लिए, उसे अकेले सोना होता है। अंधेरा है और वह भयभीत है, लेकिन उसके साथ उसका भालू का खिलौना, टेडी बेयर है, और वह मानता है कि वह अकेला नहीं है, उसका दोस्त उसके साथ है। आप बच्चों को हवाई अड्डों पर, रेलवे स्टेशनों पर अपने टेडी बेयर को खींचते देखेंगे। क्या आपको लगता है कि यह सिर्फ एक खिलौना भर है? तुम्हारे लिए यह होगा, लेकिन बच्चे के लिये एक दोस्त है। और दोस्त भी उस वक्त जब कोई मददगार नहीं है -- रात के अंधेरे में, अकेले बिस्तर में, अभी भी वह उसके साथ है। वह मनोवैज्ञानिक टेडी बेयर पैदा करेगा।

तुम्हें मैं याद दिलाना चाहता हूं कि हालांकि एक वयस्क आदमी सोच सकता है कि उसके पास कोई टेडी बेयर नहीं है, वह गलत है। उसका भगवान क्या है? बस एक खिलौना। अपने बचपन के डर से, आदमी एक पिता तुल्य हस्ती बना लेता है जो सब जानता है, जो सर्व शक्तिमान है, जो हर जगह मौजूद है, अगर तुम्हें उसमें पर्याप्त विश्वास है वह तुम्हारी रक्षा करेगा। लेकिन सुरक्षा का विचार, यह विचार मात्र कि एक रक्षक की जरूरत है, बचकाना है। तो फिर तुम प्रार्थना सीखते हो, ये तो बस तुम्हारे मनोवैज्ञानिक रक्षा कवच के कुछ हिस्से हैं। प्रार्थना भगवान को याद दिलाने के लिए है कि तुम यहां हो, रात में अकेले।

मेरे बचपन में मैं हमेशा अचम्भित होता था... मैं नदी को प्यार करता था, जो कि पास में थी, मेरे घर से सिर्फ दो मिनट पैदल की दूरी पर। सैकड़ों लोगों स्नान करने के लिए वहां आया करते थे और मैं हमेशा अचम्भित होता था...गर्मियों में जब वे नदी में गोता लगाते हैं वे भगवान का नाम नहीं दोहराते, वे मनोवैज्ञानिक टेडी बेयर पैदा करेंगे "हरे कृष्ण, हरे राम”! वे मनोवैज्ञानिक टेडी बेयर पैदा करेंगे लेकिन सर्दियों में वे दोहराते हैं, “हरे कृष्ण, हरे राम”। वे "हरे कृष्ण, हरे राम” दोहराते हुए जल्दी से स्नान करते हैं।

मैं अचम्भित हो रहा था, क्या मौसम से फर्क पड़ता है? मैं अपने माता पिता से पूछता था, "यदि 'हरे कृष्ण, हरे राम’ के भक्त हैं, तब गर्मी उतनी ही अच्छी है जितनी कि सर्दी”।

लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह ईश्वर या प्रार्थना या धर्म है, यह सिर्फ ठंड है! वे 'हरे कृष्ण, हरे राम" का कवच बना रहे हैं। वे अपना बहलाव कर रहे हैं। यहां बहुत ठंड है, और एक मोड़ की जरूरत है -- और यह मदद करता है। गर्मियों में वहां कोई जरूरत नहीं है, वे बस भूल जाते हैं कि पूरी सर्दियों वे सब क्या कर रहे थे।

हमारी प्रार्थनायें, हमारे अलाप, हमारे मंत्र, हमारे शास्त्र, हमारे देवता, हमारे पुजारी, हमारे मनोवैज्ञानिक कवच का हिस्सा हैं। यह बहुत सूक्ष्म है। एक ईसाई का विश्वास है कि वह बच जाएगा -- और कोई नहीं। अब यह उसकी रक्षा व्यवस्था है। हर कोई उसे छोड़कर नरक में गिर रहा है, क्योंकि वह एक ईसाई है। लेकिन हर धर्म एक ही रास्ते में विश्वास करता है कि केवल वे ही बचे रहेंगे।

यह धर्म का सवाल नहीं है। यह भय का सवाल है और भय से बचने के लिये किया जा रहा है, तो यह एक तरह से प्राकृतिक है। लेकिन तुम्हारी परिपक्वता के एक निश्चित बिंदु पर, ज्ञान की मांग है कि उसे गिरा दिया जाये। जब तुम एक बच्चे थे यह अच्छा था, लेकिन एक दिन तुम्हें अपने टेडी बेयर को छोड़ना है वैसे ही जैसे एक दिन तुम अपने ईश्वर को छोड़ना है, बस उसी तरह एक दिन तुमने ईसाई धर्म, हिन्दू धर्म को छोड़ दिया है। अंत में, जिस दिन तुमने सब कवच छोड़ दिये तुमने भय से रहना छोड़ दिया।

और किस तरह जीना डर से बाहर हो सकता है? एक बार कवच छोड़ दिये तो तुम प्यार के धरातल पर रह सकते हो, तुम एक परिपक्व तरीके से रह सकते हो। पूरी तरह परिपक्व आदमी को कोई डर नहीं होता, कोई बचाव नही है, वह मानसिक रुप से पूरी तरह से खुला है और सुभेद्य है।

एक बिंदु पर कवच की आवश्यकता हो सकती है... शायद है भी। लेकिन जैसे ही तुम विकसित होते हो, यदि तुम केवल बूढ़े नहीं हो रहे हो लेकिन बड़े हो रहे हो, परिपक्व हो रहे हो, तब तुम देखना शुरू कर दोगे कि तुम अपने साथ क्या ले जा रहे हो। क्यों तुम भगवान में विश्वास करते हो? एक दिन तुम स्वयं भी देखोगे कि तुमने भगवान को नहीं देखा है, तुम्हारे पास भगवान का कोई संपर्क नहीं था, और भगवान में विश्वास करते रहना एक झूठ है: तुम ईमानदार नहीं हो ।

किस तरह का धर्म होगा जब कोई ईमानदारी, प्रामाणिकता नहीं है? तुम तुम्हारे विश्वासों के लिए कोई कारणा भी नहीं दे सकते, और अभी भी तुम उन्हें पकड़कर चलते हो।

बारीकी से देखो और तुम्हें उनके पीछे भय मिल जाएगा।

एक परिपक्व व्यक्ति खुद को जो कुछ भी भय के साथ जुड़ा हुआ है उससे अलग कर सकता है। इसी तरह परिपक्वता आती है।

बस अपने सभी कृत्यों, अपने सभी विश्वासों को देखो और पता लगाओ कि उनके आधार वास्तविकता में हैं, अनुभव में, या भय में हैं। और जिसका भी आधार भय में होता है उसे तुरंत गिरा दिया जाये, बिना पुनर्विचार के। यह तुम्हारा कवच है। मैं इसे नहीं पिघला सकता। मैं बस तुम्हें दिखा सकता हूं कि कैसे तुम इसे छोड़ सकते हो।

हम भय में जीए जाते हैं -- यही कारण है कि हम हर दूसरा अनुभव जहरीला करते चले जा रहे हैं। हम किसी को प्यार करते हैं, लेकिन डर के मारे। यह खराब कर देता है, यह जहरीला है। हमें सच की तलाश है, लेकिन अगर खोज डर से है तो तुम इसे खोजने नहीं जा रहे हैं।

तुम जो भी करो, एक बात स्मरण रहे, भय से तुम विकसित नहीं होओगे। तुम केवल सिकुड़ जाओगे और मर जाओगे। भय मौत की सेवा में होता है।

महावीर सही हैं: वह निडरता को एक निडर व्यक्ति की बुनियाद बनाते हैं। और मैं समझ सकता हूं निडरता से उनका क्या मतलब है। उनका मतलब सब कवच को छोड़ना है। एक निडर व्यक्ति के पास वह सब कुछ है जो जीवन तुम्हें उपहार के रूप में देना चाहता है। अब कोई बाधा नहीं है। तुम पर उपहारों की बौछार होगी, और तुम जो भी करोगे, तुम्हारे पास एक बल, एक शक्ति, एक निश्चितता होगी, अधिकार का एक जबरदस्त अहसास होगा।

एक भयभीत रहने वाला आदमी हमेशा भीतर से कांप रहा हैं। वह निरंतर पागल हो जाने के बिंदु पर है, क्योंकि जीवन बड़ा है, और यदि तुम निरंतर भय में हो... और भय के कई प्रकार हैं। तुम एक बड़ी सूची बना सकते हो और तुम हैरान होंगे कि कितने भय हैं - और तुम अभी भी जीवित हो! वहां सभी तरफ संक्रमण हैं, रोग, खतरे, अपहरण, आतंकवादी …और इतनी छोटी सी जिंदगी। और अंत में मौत है, जिससे तुम बच नहीं सकते। तुम्हारा पूरा जीवन अंधकारमय हो जाएगा।

भय छोड़ो! भय तुम्हारे द्वारा लिया गया था तुम्हारे बचपन में, अनजाने में, अब जानते हुए इसे छोड़ दो और परिपक्व हो जाओ। और तब जैसे-जैसे तुम विकसित होते जाते हो, जिंदगी एक प्रकाश हो सकता है जो गहराता जाता है। -ओशो 

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