Wednesday, December 5, 2012

रॉक डाल्टन की कवितायें .....



तुम्हारी तरह मैं प्यार करता हूँ

तुम्हारी तरह
मैं प्यार करता हूँ
प्यार को,
ज़िंदगी को,
चीज़ों की मीठी ख़ुशबुओं को,
जनवरी माह के आसमानी नज़ारे को
प्यार करता हूँ

मेरा लहू उबलता है
मेरी आँखें हँसती हैं
कि मैं आँसुओं की कलियाँ जानता हूँ
मुझे भरोसा है कि दुनिया ख़ूबसूरत है

और कविता रोटी की तरह
सबकी ज़रूरत है

और यह
कि मेरी शिराएँ मुझमें ही ख़त्म नहीं होतीं
बल्कि ये लहू एक है
उन सबका
जो लड़ रहे हैं ज़िंदगी के लिए,
प्यार के लिए,
सुन्दर नज़ारों और रोटी के लिए
और सबकी कविता के लिए...

वे कहते हैं...

"एक पत्थर है मार्क्सवाद और लेनिनवाद
बुर्जुआजी और साम्राज्यवाद का सर फोड़ने के लिए "

"नहीं
यह एक गुलेल है
जिस से यह पत्थर फेंका जाता है"

"नहीं, नहीं
यह एक विचार है
जो चलाता है उस हाथ को
जिस से तानी जाती है पत्थर फेंकने वाली गुलेल की कमानी"

"मार्क्सवाद लेनिनवाद एक तलवार है
साम्राज्यवाद के हाथों को काटने वाली"

"क्या ?
यह एक सिद्धांत है
जो साम्राज्यवाद के हाथों को नरमी से सहलाता है
उन्हें हथकड़ी लगाने के मौके की तलाश में"

क्या कर पाऊँगा मैं
अगर सारी ज़िंदगी मैं गुज़ार दूँ मार्क्सवाद-लेनिनवाद को पढ़ते हुए

और जब बड़ा होऊँ
तो यह भूल चुका होऊँ
कि मेरी जेबों में भरे हैं पत्थर
और मेरी पिछली जेब में है एक गुलेल

और ऐन मुमकिन है
कि वो तलवार मेरी अंतड़ियों में धँसी हो
और यह कि अब ये पाँच मिनट
ब्यूटी-पार्लर में भी सहारा नहीं दे पाएगा
किसी को !!

 सत्ताईस बरस....
सच में
गंभीर बात है
सत्ताईस बरस का होना

बेहद संजीदा बातों में
एक है -
दोस्तों के हमेशा-हमेशा के लिए जाने का ख़याल

बचपन का गुमशुदा होना
किसी को ये शुबह होना
कि कालजयी है वह ख़ुद

अँग्रेज़ी से अनुवाद : संध्या नवोदिता

www.kavitakosh.com से साभार 

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