Thursday, October 31, 2013

शुभम श्री की कविता- बुखार, ब्रेक अप, आइ लव यू

शुभम श्री की इस कविता का पाठ सबसे पहले एक असुविधा पैदा करता है. हिंदी के मुझ जैसे पाठकों का इसे पढ़कर चौंकना बिलकुल सहज है. प्रेम कवितायें जैसी हमने पढ़ीं (और लिखीं भी हैं), उसके बरक्स यह कविता बिलकुल अलग भाषा, अभिव्यक्ति और भाव-बोध वाली है. कहूं कि यह हिंदी के 'जेनरेशन एक्स' की कविता है. उसके सोचने की प्रक्रिया, उसकी भाषा, उसकी समझ और उसके बोल्डनेस से उपजी. इसीलिए यह बहुत ध्यान से पढ़े जाने की मांग करती है, शब्दों से बिदकने की जगह एक नई पीढ़ी के आगमन की धमक की तरह देखे और महसूस किये जाने वाले धीरज भरे पाठ की दरकार है यहाँ. इससे ज़्यादा कुछ कहना एक तरह की 'कंसेंट बिल्डिंग' होगी. तो मैं आपको अब कविता के साथ अकेले छोड़ता हूँ....




104 डिग्री
अब पुलिस मुझे आइपीसी लगाकर गिरफ़्तार कर ले
तो भी नहीं कहूंगी कि मैंने तुमसे प्रेम किया है
प्रेम नहीं किया यार
प्रेम के लायक लिटरेचर नहीं पढ़ा
देखो, बात बस ये है कि..
..कि तुम्हारे बिना रहा नहीं जा सकता ।
कहो तो स्टांप पेपर पे लिख के दे दूं
नहीं.. नहीं..नहीं..

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मैंने तुम्हारे दिमाग का दही बनाया है
लड़ाई की है, तंग किया है ?
हां किया है
तो लड़ लो
(वैसे तुमने भी लड़ाई की है पर अभी मैं वो याद नहीं दिला रही)
तुम भी तंग कर लो
ब्रेक अप क्यों कर रहे हो ?
ये मानव अधिकारों का कितना बड़ा उल्लंघन है
कि
आधे घंटे तक फ्रेंच किस करने के बाद तुम बोलो-
हम ब्रेक अप कर रहे हैं !
102 डिग्री
अफसोस कि मैं कुछ नहीं कर सकती
तुम्हारा नहीं चाहना
इस नहींको हां कैसे करूं, कैसे ?
प्लीज बोलो ना
नहीं दुनिया का सबसे कमीना शब्द है
उससे भी ज्यादा है ब्रेकअप

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अब एक प्यारे से लड़के की याद में
होमर बनने का क्या उपाय है दोस्तों ?
चाहती हूं वो लिखूं..वो लिखूं.. कि
आसमान रोए और धरती का सीना छलनी हो
पानी में आग लगे, तूफान आए
पर रोती भी मैं ही हूं, सीना भी मेरा ही छलनी होता है
आग तूफान सब मेरे ही भीतर है
बाहर सब बिंदास नॉर्मल रहता है
काश पता होता
प्यार कर के तकलीफ़ होती है
काश
(हजारों सालों से कहते आ रहे हैं लोग लेकिन अपन ने भाव कहां दिया.. देना चाहिए था )
99 डिग्री
तुम्हें याद है जब एग्जाम्स के वक़्त मुझे ज़ुकाम हुआ था
कैसे स्टीम दिला दिला कर तुमने पेपर देने भेजा था
और बारिश में भीग कर बुखार हुआ था
तो कितना डांटा था
अब भी बुखार आता है मुझे
आंसू भी आने लगे हैं आजकल साथ में

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कितनी आदतें बदलनी पड़ेंगी
खुद को ही बदल देना पड़ेगा शायद
जैसे कि अब बेफ़िक्र नहीं रहा जा सकता
खुश नहीं हुआ जा सकता कभी
और
सेक्स भी तो नहीं किया जा सकता

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वो सारी किसेज जो पानी पीने और सूसू करने जितनी जरूरी थीं ज़िंदगी में
किसी सपने की मानिंद गायब हो गई हैं..
ओह कितनी यादें हैं, फिल्म है पूरी
कभी खत्म न होने वाली
मेरी सब फालतू बातें जिनसे मम्मी तक इरिटेट हो जाती थी
तुम्हीं तो थे जो सुन कर मुस्कुराया करते थे
और तुम, जिसकी सब आदतें मेरे पापा से मिलती थीं
और वो मैसेज याद हैं
हजारों एसएमएस.. मैसेज बॉक्स भरते ही डिलीट होते गए
उन्हें भरोसा था कि खुद डिलीट होकर भी
उन्होंने एक रिश्ते को सेव किया है
दुनिया का सबसे प्यारा रिश्ता..
तुम चिढ़ जाओगे कि ये सब लिखने की बातें नहीं हैं
क्यों नहीं हैं ?
तुम्हारे प्यारे होठों से भी ज्यादा प्यारे डिंपल
और उनसे भी प्यारी मुस्कुराहट की याद
मुझे सेक्स की इच्छा से कहीं ज्यादा बेचैन करती है
तुम्हारे शरीर की खुशबू जिसके सहारे हमेशा गहरी नींद सोया जा सकता है
वही तुम, जिसे निहारते हुए लगता है-
काश इसे मैंने पैदा किया होता..
जिंदा रहने की चंद बुनियादी शर्तें ही तो हैं न
हवा, पानी, खाना और तुम
तुम..
101 डिग्री
मैं उन तमाम लड़कियों से
जो प्यार में तकिए भिगोती हैं और बेहोश होती हैं
माफी मांगना चाहती हूं
वो सभी लोग जो बीपीएल सूची के राशन की तरह
फोन रीचार्ज होने का इंतजार करते हैं
जो ऑक्सीजन की बजाय सिगरेट से सांस लेते हैं
वोदका के समंदर में तैरते हैं
हमेशा दुखी रहते हैं
उन पर ली गई सारी चुटकियां, तंज, ताने, मजाक
मैं वापस लेती हूं
104 डिग्री
और तुम
तुम तो कभी खुश नहीं रहोगे
रिलेशनशिप..अंडरस्टैंडिंग.. ईगो.. स्पेस..
नहीं जानती थी मैग्जीन्स से बाहर भी
इन शब्दों की एक दुनिया है

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तुम्हारे सारे इल्ज़ाम मैं कबूल करती हूं
हां, मुझमें हजारों कमियां हैं
मैंने तुम्हें जंगलियों की तरह प्यार किया है
कि तुम्हें गले लगाने के पहले
फ्लैट की किस्त और इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं जोड़ी
अपना साइकोएनालिसिस नहीं किया
हां, मुझे नहीं समझ आता ब्रेक अपका मतलब
नहीं आता !
तुम्हें गुस्सा आता है तो आए
लेकिन
आइ लव यू
जितनी बार तुम्हारा ब्रेक अप, उतनी बार मेरा आइ लव यू..

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